एमसीबी/मनेंद्रगढ़
छत्तीसगढ़ मनेंद्रगढ़ जिले में वन विभाग और स्थानीय निकाय के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। डीएफओ मनीष कश्यप के खिलाफ नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिमा यादव, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र पटवा, विधायक प्रतिनिधि सरजू यादव और दोनों दलों के पार्षदगण ने वन मंडलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया। धरने पर बैठे जनप्रतिनिधि “डीएफओ हटाओ”, “तानाशाही नहीं चलेगी” जैसे नारे लगाते रहे। इस बीच धरने को समर्थन देने भाजपा जिलाध्यक्ष चंपादेवी पावले भी पहुंची मुद्दा था भालुओं का आतंक, जवाब मिला अपमान से ! नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिमा यादव ने बताया कि वे भालू के लगातार विचरण से आतंकित वार्डों के समाधान के लिए ज्ञापन देने पहुंचे थे, लेकिन डीएफओ मनीष कश्यप ने जनप्रतिनिधियों से अभद्र भाषा में बात की और मिलने से इनकार कर दियाउन्होंने कहा, “हम वार्डवासियों की समस्या लेकर पहुंचे थे, लेकिन डीएफओ ने कहा कि वो सबसे नहीं मिलेंगे। जब फोन उठाने की बात की गई तो जवाब मिला – ‘मेरा मन’। यह सरासर तानाशाही और जनप्रतिनिधियों का अपमान है
नगरपालिका के पक्ष एवं विपक्ष दोनों दलों के पार्षद एक मंच पर
इस मामले ने राजनीतिक सरहदें भी तोड़ दी हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के पार्षद नपाध्यक्ष के समर्थन में डीएफओ कार्यालय के सामने जमीन पर बैठ गए और एक सुर में कहा – “जनता की आवाज उठाना अगर अपराध है तो हम हर दिन अपराधी बनेंगे पहले भी विवादों में रहे हैं डीएफओ मनीष कश्यप
यह पहली बार नहीं है जब डीएफओ मनीष कश्यप पर जनप्रतिनिधियों के साथ अभद्रता और मनमानी का आरोप लगा हो। पूर्व में भी कई सामाजिक संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों ने उनके व्यवहार और कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। साल 2023 में एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता ने भी उन पर दफ्तर में बदसलूकी और जवाबदेही से बचने का आरोप लगाया था। वन विभाग के कर्मचारियों के साथ भी उनके विवाद की खबरें आती रही हैं।
विधायक प्रतिनिधि सरजू यादव का बड़ा बयान
विधायक प्रतिनिधि सरजू यादव ने कहा, “मनीष कश्यप जैसे अधिकारी को जनता और जनप्रतिनिधियों की भावनाओं से कोई मतलब नहीं। ऐसे तानाशाही रवैये वाले अफसर को जिले में रहने का हक नहीं है भालू से परेशान जनता, अधिकारी कर रहे राजनीति ? शहर के कई वार्डों में भालू के खुले विचरण की वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों, महिलाओं और वृद्धजनों में दहशत है लोग रात में बाहर निकलने से डरते हैं, लेकिन वन विभाग इस पर किसी ठोस कार्रवाई से दूर नजर आ रहा है जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि समस्या का समाधान करने की बजाय, डीएफओ जनसेवकों को ही अपमानित कर रहे हैं।